निकाय चुनाव पर जनता से राय लेगी मूल निवास, भू-कानून संघर्ष समिति

www.hillstime.in देहरादून। मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति ने निकाय चुनावों में भागीदारी को लेकर जनता की राय लेने का फैसला किया है। समिति का कहना है कि प्रदेश में भूमि कानूनों को कमजोर कर जमीन की खरीद-फरोख्त को बढ़ावा दिया गया है, जिसे रोकने के लिए वे जनमत संग्रह करेंगे।

मुख्य बिंदु:
- जनता की राय के आधार पर होगा निर्णय:
- संघर्ष समिति ने घोषणा की है कि जनता के निर्णय के आधार पर ही निकाय चुनावों में प्रत्याशी उतारे जाएंगे।
- इसके लिए जनता से संवाद और सर्वेक्षण किया जाएगा।
- भूमि कानूनों पर सरकारों पर आरोप:
- समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि उत्तराखंड की सरकारों ने नगर निकायों में भूमि कानून कमजोर कर ग्रामीण क्षेत्रों की जमीनों को नगर निकायों में शामिल करके खरीद-फरोख्त का खेल खेला।
- किसी भी सरकार ने जमीन की खरीद-फरोख्त रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए।
- चुनाव में भागीदारी की योजना:
- जनता के समर्थन के आधार पर क्षेत्रीय सामाजिक और राजनीतिक संगठनों को जोड़कर प्रत्याशियों को चुनाव में उतारा जाएगा।
- इसके लिए एक स्क्रीनिंग कमेटी का गठन होगा, जिसमें राज्य के प्रबुद्ध व्यक्ति शामिल होंगे।
- प्रत्याशियों का चयन उनके बायोडाटा के आधार पर किया जाएगा।
- जनता की राय के लिए संपर्क माध्यम:
- संघर्ष समिति ने जनता की राय लेने के लिए व्हाट्सएप नंबर 8445587857 जारी किया है।
- सोशल मीडिया के माध्यम से भी सुझाव लिए जाएंगे।
- सरकारी भ्रष्टाचार का आरोप:
- सह संयोजक लुशून टोडरिया ने सत्ताधारी पार्टी पर भू-माफियाओं के साथ मिलकर जमीन की लूट का आरोप लगाया।
- उन्होंने कहा कि मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी निष्क्रिय है।
- जनता की भूमिका पर जोर:
- प्रवक्ता हिमांशु रावत और पूर्व सैन्याधिकारी पीसी थपलियाल ने कहा कि राष्ट्रीय पार्टियों की भूमिका जमीन की लूट में रही है।
- जनता के समर्थन और राय के आधार पर संघर्ष समिति इस लूट को रोकने के लिए कदम उठाएगी।

निष्कर्ष:
संघर्ष समिति का कहना है कि जनता की राय उनके फैसले का आधार बनेगी। निकाय चुनावों में प्रत्याशी उतारने का निर्णय जनमत संग्रह के परिणाम पर निर्भर करेगा। अब जनता को तय करना है कि समिति को चुनाव में भाग लेना चाहिए या नहीं।