उत्तराखंड में 24 घंटे तक भूख से तड़पते रहे शावक, तमाशबीन बना रहा वन विभाग; हुई मौत

Uttarakhand News हल्द्वानी।: वन्यजीव संरक्षण के लिए सरकार हर साल करोड़ों रुपये खर्च कर रही है और वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 को सख्ती से लागू किया गया है। इसके बावजूद हल्द्वानी के हरिपुर जमनपुर गांव में वन विभाग की लापरवाही के कारण गुलदार के दो शावकों की मौत हो गई। घटना ने वन्यजीव संरक्षण के दावों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
24 घंटे तक भूख से तड़पते रहे शावक
तराई केंद्रीय वन प्रभाग के अंतर्गत रामपुर रोड स्थित हरिपुर जमनपुर गांव के निवासी मनोहर चंद्र बड़शिलिया ने रविवार शाम खेत के पास गुलदार देखा था। सोमवार सुबह उन्होंने और उनकी पत्नी ने खेत के आसपास की झाड़ियां साफ कीं, तभी खेत के किनारे दो गुलदार के शावक दुबके हुए मिले।
वन विभाग ने मौके पर कैमरा ट्रैप लगाकर निगरानी का दावा किया। हालांकि, शावकों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। 24 घंटे तक भूख और देखरेख के अभाव में शावकों ने दम तोड़ दिया।
शावकों को सुरक्षित स्थान पर क्यों नहीं ले जाया गया?
वन विभाग के अधिकारियों ने शावकों की मां के लौटने का इंतजार करने की बात कही, लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक, शावकों को सुरक्षित स्थान, जैसे कि चिड़ियाघर, ले जाया जा सकता था। इसके अलावा, पशु चिकित्सकों से सलाह लेकर उचित इलाज का प्रबंध किया जा सकता था।
मंगलवार को शावकों की मौत के बाद वन विभाग के पशु चिकित्सक मौके पर पहुंचे और पोस्टमार्टम के बाद दोनों शावकों के बिसरे को जांच के लिए भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (IVRI) बरेली भेज दिया गया।
वन विभाग पर उठे सवाल
गुलदार के शावकों की मौत से वन विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं। सरकार द्वारा वन्यजीव संरक्षण पर खर्च किए जाने वाले करोड़ों रुपये के बावजूद ऐसी घटनाएं प्रशासन की नाकामी को दर्शाती हैं।
निष्कर्ष
यह घटना वन्यजीव संरक्षण के दावों और जमीनी हकीकत के बीच की खाई को उजागर करती है। अधिक जानकारियों और उत्तराखंड की खबरों के लिए विजिट करें www.hillstime.in