उत्तराखंड के सरकारी शिक्षकों के लिए नया निर्देश, माध्यमिक शिक्षा निदेशालय के कदम से मचा हड़कंप

देहरादून: उत्तराखंड में सरकारी शिक्षकों के लिए माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने एक नया संशोधित प्रस्ताव तैयार किया है, जो सुगम और दुर्गम सेवाओं के नियमों से संबंधित है। इस कदम ने राज्य के शिक्षकों के बीच चर्चा का माहौल पैदा कर दिया है।
सुगम सेवा को नहीं माना जाएगा दुर्गम
- प्रस्ताव के अनुसार, अटल उत्कृष्ट विद्यालय के लिए चयनित शिक्षक की सेवा, यदि किसी सुगम विद्यालय में होती है, तो उसे दुर्गम सेवा नहीं माना जाएगा।
- अब तक यह नियम था कि यदि किसी शिक्षक की तैनाती किसी सुगम अटल उत्कृष्ट विद्यालय में होती थी, तो उस सेवा को दुर्गम सेवा माना जाता था।

प्रस्ताव का उद्देश्य और प्रक्रिया
- यह संशोधित प्रस्ताव माध्यमिक शिक्षा निदेशालय द्वारा तैयार किया गया है और इसे शिक्षा महानिदेशक को भेजा गया है।
- प्रस्ताव को अंतिम मंजूरी के लिए शासन को भेजा जाएगा।
- प्रस्ताव में तीन महत्वपूर्ण बदलावों की सिफारिश की गई है, जो शिक्षकों की तैनाती और सेवाओं के वर्गीकरण को बेहतर और पारदर्शी बनाने का प्रयास है।
अटल उत्कृष्ट विद्यालय: एक परिचय
- उत्तराखंड सरकार ने राज्य के 189 सरकारी माध्यमिक विद्यालयों को सीबीएसई बोर्ड से संबद्ध कर इन्हें अटल उत्कृष्ट विद्यालय का दर्जा दिया है।
- इन विद्यालयों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए एक मॉडल के रूप में विकसित किया गया है।
शिक्षकों के लिए संभावित प्रभाव
- इस नए प्रस्ताव से उन शिक्षकों और कर्मचारियों पर सीधा प्रभाव पड़ेगा, जो अटल उत्कृष्ट विद्यालय में नियुक्ति के दौरान दुर्गम सेवा का लाभ लेते रहे हैं।
- शिक्षकों के सेवा लाभों और उनके कार्य क्षेत्र की श्रेणीकरण प्रणाली में यह बदलाव बड़ा असर डाल सकता है।
शिक्षा जगत की प्रतिक्रिया
- शिक्षकों और संबंधित संगठनों ने इस प्रस्ताव पर सवाल उठाए हैं और इस बात की संभावना है कि इस पर व्यापक चर्चा होगी।
- शिक्षकों का मानना है कि यह नियम उनकी सेवा की स्थिति और भविष्य की योजनाओं को प्रभावित कर सकता है।
Hillstime.in
उत्तराखंड की शिक्षा, राजनीति और समाज से जुड़ी हर खबर के लिए जुड़े रहें।