प्रदेश में बारिश-बर्फबारी से ऊर्जा क्षेत्र को राहत की उम्मीद, उत्पादन 20% तक गिरा

हिमाचल प्रदेश में हाल ही में हुई बारिश और बर्फबारी ने ऊर्जा उत्पादन क्षेत्र को कुछ राहत देने की उम्मीद जगाई है। सर्दियों में नदियों के जलस्तर में गिरावट के कारण बिजली उत्पादन पर असर पड़ा था, लेकिन बारिश से नदियों और नालों में जलस्तर बढ़ने की संभावना है।

ऊर्जा उत्पादन में गिरावट
- प्रदेश में बिजली उत्पादन घटकर केवल 20% रह गया है।
- इससे राज्य बिजली बोर्ड को बाहर से बिजली खरीदने की जरूरत बढ़ गई है।
- सर्दियों में नदियों के जलस्तर में कमी के कारण परियोजनाएं अपनी क्षमता से कम उत्पादन कर रही हैं।
बिजली की मौजूदा स्थिति
- शनिवार के आंकड़ों के अनुसार, बिजली बोर्ड के पास रोजाना 165 लाख यूनिट बिजली उपलब्ध है।
- प्रदेश को अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए 390 लाख यूनिट बिजली की आवश्यकता है।
- पिछले सप्ताह में रोजाना 17 लाख यूनिट बिजली उपलब्ध थी, जो अब 10 लाख यूनिट की कमी के साथ और घट गई है।
बिजली की खरीद बढ़ी
- प्रदेश को अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए दूसरे राज्यों से 115 लाख यूनिट बिजली रोजाना खरीदनी पड़ रही है।
- पहले यह खरीद 100 लाख यूनिट तक थी, जिसे अब बढ़ा दिया गया है।
- बाजार से महंगे दामों पर बिजली खरीदने के कारण राज्य को 700 करोड़ से ज्यादा खर्च करना पड़ता है।
सर्दियों में उत्पादन पर असर
- सर्दियों में नदियों और जलाशयों का जलस्तर गिरने के कारण बिजली उत्पादन परियोजनाएं अपनी पूरी क्षमता से काम नहीं कर पा रही हैं।
- यदि बर्फबारी और बारिश का सिलसिला जारी रहा, तो नदियों और नालों का जलस्तर बढ़ेगा, जिससे बिजली उत्पादन स्थिर हो सकेगा।
ऊर्जा बैंकिंग से राहत की उम्मीद
- हिमाचल को अन्य राज्यों से 300 मिलियन यूनिट पुरानी बकाया बिजली मिलने की उम्मीद है।
- कुल 1700 मिलियन यूनिट बिजली हिमाचल को अन्य राज्यों से वापस मिलनी है।
ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति प्रभावित
- बिजली की कमी के कारण ग्रामीण इलाकों में कई स्थानों पर पर्याप्त बिजली नहीं दी जा रही है।
- लोगों को बिजली कटौती और अनियमित आपूर्ति की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

निष्कर्ष
बारिश और बर्फबारी ने हिमाचल प्रदेश के ऊर्जा उत्पादन क्षेत्र को थोड़ी राहत दी है। हालांकि, राज्य को अपनी बिजली जरूरतों को पूरा करने के लिए अभी भी भारी मात्रा में बिजली खरीदनी पड़ रही है। अगर आने वाले समय में बारिश और बर्फबारी का सिलसिला जारी रहा, तो ऊर्जा संकट में कमी आ सकती है।
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