आपदाओं से निपटने को उत्तराखंड तैयार, सीएम धामी ने की ‘आपदा सखी योजना’ की घोषणा

देहरादून, उत्तराखंड
उत्तराखंड जैसे भौगोलिक रूप से संवेदनशील और आपदा संभावित राज्य में आपदा प्रबंधन की तैयारियों को लेकर शनिवार को एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया। राजधानी देहरादून में आयोजित “मानसून – 2025 तैयारी कार्यशाला” में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शिरकत की और राज्य की आपदा प्रबंधन रणनीति की समीक्षा करते हुए कई अहम घोषणाएं कीं। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर राज्य के लिए व्यापक और समग्र आपदा प्रबंधन नीति को सशक्त करने पर बल दिया।
‘आपदा सखी योजना’ का शुभारंभ
मुख्यमंत्री धामी ने कार्यशाला में ‘आपदा सखी योजना’ की शुरुआत करने की घोषणा की, जो महिला सशक्तिकरण के साथ-साथ आपदा प्रबंधन में महिला भागीदारी को भी बढ़ावा देगी। उन्होंने कहा कि इस योजना के अंतर्गत राज्य की महिलाओं को प्राथमिक उपचार, राहत-बचाव कार्य, आपदा के समय मनोवैज्ञानिक सहयोग जैसे विषयों में प्रशिक्षित किया जाएगा। इस पहल का उद्देश्य समाज की भागीदारी को और अधिक सक्रिय बनाना है ताकि आपदा के समय हर नागरिक सहायक भूमिका निभा सके।
सीएम धामी ने कहा, “आपदा सखी योजना ना केवल महिलाओं को प्रशिक्षित करेगी, बल्कि उन्हें आपदा की स्थिति में समुदाय का नेतृत्व करने योग्य भी बनाएगी। यह योजना राज्य में आपदा प्रबंधन के ढांचे को मजबूत करेगी।”
प्रोएक्टिव और रिएक्टिव रणनीतियों पर जोर
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड कई वर्षों से प्राकृतिक आपदाओं से जूझता रहा है। उन्होंने वर्ष 2024 की गौरीकुंड बादल फटना और टिहरी के तोली गांव में हुए भूस्खलन की घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि इन आपदाओं में तत्काल और प्रभावी प्रतिक्रिया ने सैकड़ों लोगों की जान बचाई।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि अब समय आ गया है कि राज्य प्रोएक्टिव (पूर्व-सक्रिय) और रिएक्टिव (प्रतिक्रियात्मक) दोनों रणनीतियों को अपनाए, ताकि भविष्य में होने वाली किसी भी प्राकृतिक आपदा से निपटा जा सके।
संवेदनशील क्षेत्रों में मशीनों और संसाधनों की तैनाती
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि राज्य में भूस्खलन, बाढ़ और अन्य आपदा संभावित क्षेत्रों की पहले से पहचान की जाए और वहां जेसीबी, क्रेन, वैकल्पिक पुलों, भोजन व दवाइयों जैसी जरूरी व्यवस्थाएं पहले से उपलब्ध कराई जाएं। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि संवेदनशील क्षेत्रों में जल स्तर की निगरानी के लिए तकनीकी यंत्र और मानव संसाधन तैनात किए जाएं, जिससे किसी भी संभावित खतरे का तुरंत पता लगाया जा सके।
सतर्कता ही सुरक्षा की कुंजी
कार्यशाला में मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार आपदा प्रबंधन को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है और प्रत्येक विभाग, संस्था और नागरिक की जिम्मेदारी बनती है कि वे आपदा से पहले सतर्क और तैयार रहें। उन्होंने जिला प्रशासन और SDRF को भी निर्देश दिए कि वे समय-समय पर मॉक ड्रिल, जनजागरूकता अभियान और राहत अभ्यास आयोजित करें।
निष्कर्ष
“मानसून – 2025 तैयारी कार्यशाला” के जरिए उत्तराखंड सरकार ने स्पष्ट संकेत दिया है कि वह आपदा प्रबंधन को लेकर पूरी तरह गंभीर है और आने वाले मानसून सीजन में किसी भी प्रकार की चुनौती से निपटने के लिए तैयार है। ‘आपदा सखी योजना’ जैसे इनोवेटिव प्रयास राज्य को न केवल आपदा प्रबंधन में अग्रणी बनाएंगे, बल्कि समाज में जागरूकता और सहभागिता की भावना को भी और अधिक मजबूत करेंगे।