Pink Ball Test: रेड और पिंक बॉल में क्या होता है अंतर? एडिलेड टेस्ट से पहले डिटेल में समझें हर बारीकी

भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी का दूसरा टेस्ट 6 दिसंबर से एडिलेड में खेला जाएगा। यह मुकाबला डे-नाइट टेस्ट होगा, जिसमें पिंक बॉल का इस्तेमाल किया जाएगा। सीरीज का पहला टेस्ट पर्थ में रेड बॉल से खेला गया था। आइए www.hillstime.in के साथ जानते हैं पिंक बॉल और रेड बॉल में क्या खास अंतर है।

कैसे अलग है पिंक बॉल?
- बेहतर विजिबिलिटी
पिंक बॉल को खासतौर पर डे-नाइट टेस्ट के लिए डिजाइन किया गया है। रात में फ्लड लाइट्स के तहत पिंक बॉल की विजिबिलिटी रेड बॉल की तुलना में बेहतर होती है। - स्पेशल कोटिंग
पिंक बॉल पर Polyurethane कोटिंग होती है, जो इसे लंबे समय तक चमकदार बनाए रखती है। इस कोटिंग के कारण पिंक बॉल 40 ओवर तक आसानी से स्विंग करती है और पुरानी गेंद से रिवर्स स्विंग मिलने की संभावना भी बनी रहती है। - सिलाई में अंतर
रेड बॉल पर सफेद धागे से सिलाई की जाती है, जबकि पिंक बॉल पर काले धागे का इस्तेमाल होता है। यह बेहतर विजिबिलिटी सुनिश्चित करता है।
क्या हैं पिंक बॉल की चुनौतियां?
- रंग दृष्टि समस्या
जिन खिलाड़ियों को कलर विजन की समस्या होती है, उनके लिए पिंक बॉल की लाइन और लेंथ को जज करना मुश्किल हो सकता है। - कीपिंग में चुनौती
ऑस्ट्रेलिया के विकेटकीपर एलेक्स कैरी का कहना है कि पिंक बॉल के ज्यादा चमकदार होने के कारण कीपिंग करना अलग और चुनौतीपूर्ण होता है। उन्होंने यह भी कहा कि पिंक बॉल के साथ खेलने के लिए गेंद को अंत तक देखना बेहद जरूरी होता है।
निष्कर्ष
पिंक बॉल का इस्तेमाल टेस्ट क्रिकेट में नया अनुभव लाने के लिए किया गया है। इसकी खूबियां और चुनौतियां इसे रेड बॉल से अलग बनाती हैं। पिंक बॉल टेस्ट की ताजा खबरों और अपडेट्स के लिए विजिट करें www.hillstime.in!