आयुर्वेद में रुचि रखने वालों के लिए लॉन्च हुआ ‘भिशक’ एप

देहरादून। अगर आप आयुर्वेद में रुचि रखते हैं, तो आपके लिए एक खास एप आया है। केरल के युवा चिकित्सकों द्वारा विकसित ‘भिशक’ नामक यह एप आयुर्वेद से जुड़े रोग, दवाओं, जांच, प्रक्रियाओं और नुस्खों की विस्तृत जानकारी देता है।
एप की विशेषताएं:
- रोगों का विवरण: एप में 10 विभागों के अंतर्गत 300 से अधिक रोगों की एटियोलॉजी, क्लिनिकल फीचर्स, डायग्नोसिस और आयुर्वेदिक उपचार का विवरण उपलब्ध है।
- दवाओं की जानकारी: विशेषज्ञों के सुझाव पर 550 से अधिक आयुर्वेदिक दवाएं शामिल की गई हैं।
- विशेष प्रक्रियाएं: यह एप पंचकर्म और केरल की विशेष प्रक्रियाओं पर आधारित सबसे बड़ा डाटाबेस है।
- डिजिटल परामर्श: कोविड के दौरान लांच हुए इस एप में उपयोगकर्ता अपने नुस्खे तैयार कर सकते हैं और ऑनलाइन-ऑफलाइन परामर्श ले सकते हैं।
एप के पीछे का प्रयास:
इस एप को केरल के डॉ. संदीप, डॉ. राकेश और डॉ. उधम शाह ने विकसित किया है। यह एप देहरादून में आयोजित विश्व आयुर्वेद कांग्रेस और आरोग्य एक्सपो में सभी का ध्यान आकर्षित कर रहा है।

उत्तराखंड के दो आयुर्वेद कॉलेजों का होगा उच्चीकरण
देहरादून। राज्य के सौ वर्ष पुराने दो आयुर्वेद कॉलेजों के उच्चीकरण की प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है। इन कॉलेजों में बहुमंजिला अस्पताल बनाए जाने की योजना है।
प्रमुख बिंदु:
- डीपीआर तैयार: ऋषिकुल और गुरुकुल आयुर्वेद कॉलेज की डीपीआर तैयार हो चुकी है, जिसे केंद्र को स्वीकृति के लिए भेजा जाएगा।
- ऋषिकुल आयुर्वेद कॉलेज:
- ऋषिकुल कॉलेज की स्थापना 1919 में महामना मदन मोहन मालवीय ने की थी।
- इसके उच्चीकरण में सात मंजिला अस्पताल बनाने का प्रस्ताव है।
- कॉलेज परिसर में 25 एकड़ भूमि उपलब्ध है।
- गुरुकुल आयुर्वेद कॉलेज:
- गुरुकुल कॉलेज की स्थापना 1921 में स्वामी श्रद्धानंद ने की थी।
- इसके उच्चीकरण को लेकर अभी प्रतीक्षा करनी होगी।

केंद्र का सकारात्मक रुख:
केंद्रीय आयुष सचिव वैद्य राजेश कोटेचा ने उत्तराखंड के प्रस्ताव पर सकारात्मक रुख दिखाया है। विश्व आयुर्वेद कांग्रेस और आरोग्य एक्सपो ने राज्य के लिए नए आयुर्वेदिक विकास के रास्ते खोले हैं।
राज्य सरकार का प्रयास:
उत्तराखंड सरकार लगातार आयुर्वेद कॉलेजों के उच्चीकरण की मांग कर रही है। ऋषिकुल आयुर्वेद कॉलेज को अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान बनाने का प्रस्ताव पहले ही केंद्र को भेजा गया था, लेकिन केंद्र ने इसे उच्चीकरण का सुझाव दिया।
उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. ए.के. त्रिपाठी ने उम्मीद जताई है कि जल्द ही इन प्रस्तावों को मंजूरी मिलेगी, जिससे राज्य में आयुर्वेदिक शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार होगा।