नैनीताल पर मंडरा रहा भूस्खलन का बड़ा खतरा

Hillstime नैनीताल। शहर में भूस्खलन की बढ़ती घटनाओं और उनके कारणों की जांच के लिए जल्द ही वैज्ञानिक सर्वे शुरू किया जाएगा। उत्तराखंड भूस्खलन शमन और प्रबंधन केंद्र (यूएलएमएमसी) के विशेषज्ञ अगले छह महीनों तक विभिन्न वैज्ञानिक पहलुओं पर अध्ययन करेंगे। इस सर्वे के बाद नैनीताल के भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों का विस्तृत रिपोर्ट कार्ड तैयार होगा। इसके आधार पर रोकथाम के प्रभावी उपाय और निर्माण कार्यों की बेहतर योजनाएं बनाई जा सकेंगी।
भूस्खलन से प्रभावित क्षेत्र:
- बलियानाला: नैनीताल की तलहटी पर स्थित यह क्षेत्र लंबे समय से भूस्खलन की चपेट में है।
- चाइना पीक और टिफिन टॉप: इन पर्यटन स्थलों पर भूस्खलन से खतरा बढ़ गया है।
- राजभवन मार्ग और ठंडी सड़क: इन क्षेत्रों में हो रहे भूस्खलन से सड़क और भवनों को नुकसान हो रहा है।
- कैलाखान और चार्टन लाज क्षेत्र: यहां की आबादी वाले इलाकों में भी भूस्खलन का प्रभाव देखा जा रहा है।

वैज्ञानिक सर्वे की योजना:
- टोपोग्राफिक सर्वे: शहर के समतल और ढलान वाले क्षेत्रों, सड़कों, और भवनों का डाटा एकत्र कर कंटूर मैपिंग की जाएगी।
- जियोटेक्निकल सर्वे: भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों की भूमिगत जांच होगी, जिसमें मिट्टी और चट्टानों के नमूनों की मजबूती का परीक्षण किया जाएगा।
- कंटूर मैपिंग और डाटा संग्रह: शहर की भूगर्भीय स्थिति का विस्तृत अध्ययन किया जाएगा।
रोकथाम और भविष्य की योजनाओं के लिए सहायक:
डॉ. शांतनु सरकार, केंद्र निदेशक, ने बताया कि इस छह महीने के सर्वे से शहर के भूगर्भीय और भौगोलिक पहलुओं का सटीक आकलन किया जाएगा।
- भूस्खलन रोकथाम के उपाय: संकलित डाटा के आधार पर प्रभावी योजनाएं बनाई जाएंगी।
- साझा रिपोर्ट: सर्वे रिपोर्ट को अन्य विभागों के साथ साझा किया जाएगा। इससे भविष्य में निर्माण कार्य और अन्य योजनाओं के क्रियान्वयन में मदद मिलेगी।

बढ़ती समस्या और समाधान की दिशा:
नैनीताल में लगातार हो रहे भूस्खलन के कारण शहर के अस्तित्व पर संकट मंडरा रहा है।
- जिला प्रशासन और आपदा प्रबंधन विभाग के मौजूदा प्रयास शहर की भारवहन क्षमता को बनाए रखने के लिए अपर्याप्त साबित हो रहे हैं।
- इसलिए, इस सर्वे को शहर के सुरक्षित भविष्य के लिए बेहद जरूरी माना जा रहा है।
यह वैज्ञानिक अध्ययन न केवल भूस्खलन रोकथाम में मदद करेगा, बल्कि नैनीताल के सतत विकास के लिए भी महत्वपूर्ण सिद्ध होगा।