Bhunda Maha Yagya: देव आस्था के साथ दलगांव भुंडा महायज्ञ का शुभारंभ

रोहड़ू के बकरालू महाराल मंदिर में भुंडा महायज्ञ की शुरुआत पारंपरिक देवधुनों, अस्त्र-शस्त्रों, और आस्था से भरी नाटी के साथ हुई। Bhunda Maha Yagya इस ऐतिहासिक आयोजन में मंडलगढ़, समरेरी, गुम्मा, और अंद्रेवठी के प्रमुख देवता अपने हजारों अनुयायियों के साथ पहुंचे। देवता बकरालू महाराल और एकटांगा महाराज ने सभी देवताओं और भक्तों का स्वागत किया।
मंदिर परिसर में एक लाख से अधिक भक्त इस भव्य देव मिलन के साक्षी बने। देवताओं ने परंपरागत तरीके से परशुराम और बकरालू महाराज से मिलन की रस्म निभाई। नाचते-गाते और जयकारों की गूंज के बीच भक्तों ने अपने-अपने कुलदेवताओं की पालकी के साथ मंदिर परिसर में प्रवेश किया।
मुख्य बिंदु:
- भुंडा महायज्ञ का आगाज – दलगांव में देवमिलन और पारंपरिक आस्था के साथ शुभारंभ।
- देवताओं का स्वागत – बकरालू महाराल और एकटांगा महाराज ने सभी देवताओं का पारंपरिक तरीके से स्वागत किया।
- भक्तों की भागीदारी – लाखों भक्तों ने देव मिलन और अनुष्ठान में हिस्सा लिया।
- पैदल यात्रा – दुर्गम रास्तों से हजारों भक्त अपने कुलदेवताओं के साथ इस आयोजन में शामिल होने पहुंचे।
- परिवहन सुविधा – प्रशासन ने HRTC बसों की व्यवस्था की, जिससे भक्तों ने निजी वाहनों की बजाय सार्वजनिक परिवहन को प्राथमिकता दी।
प्रमुख रस्में:
- दूसरे दिन: शिखा फेर।
- तीसरे दिन: खास रस्म बेडा।
- अंतिम दिन: उछड़-पाछड़।
भुंडा महायज्ञ हिमाचल प्रदेश की पारंपरिक संस्कृति और देव आस्था का प्रतीक है, जिसमें हर घर से भक्त हिस्सा लेकर अपने कुलदेवताओं के प्रति श्रद्धा अर्पित करते हैं।