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हल्द्वानी की दीवारों पर म्यूरल्स से सजेगी उत्तराखंड की संस्कृति की झलक

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हल्द्वानी के काठगोदाम क्षेत्र में दीवारों को भव्य म्यूरल्स (Murals) से सजाया जा रहा है, जो उत्तराखंड (Uttarakhand) की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को प्रदर्शित करेंगे। यह पहल राष्ट्रीय खेलों (National Games) के आयोजन को ध्यान में रखते हुए की जा रही है, ताकि यहां आने वाले खिलाड़ियों और दर्शकों को राज्य की संस्कृति, रहन-सहन और प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव कराया जा सके।

काठगोदाम को गेटवे ऑफ कुमाऊं (Gateway of Kumaon) के रूप में जाना जाता है। यहां सड़क किनारे दोनों ओर की दीवारों पर भित्ति चित्रों के माध्यम से उत्तराखंड के वन्यजीव, साहसिक पर्यटन, लोकनृत्य, वेशभूषा, पारंपरिक आभूषण और कुमाऊंनी कला को उकेरा जा रहा है। ये म्यूरल्स रिलीफ आर्ट तकनीक से सीमेंट के माध्यम से तैयार किए जा रहे हैं, जिसमें बाद में रंग भरे जाएंगे।

हल्द्वानी से गौलापार स्थित अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम (International Stadium at Gaulapar) तक के क्षेत्र को राष्ट्रीय खेलों से पहले संवारने का काम तेजी से चल रहा है। सड़क चौड़ीकरण, चौराहों के सौंदर्यीकरण और दीवारों को सजाने जैसे कार्यों को प्राथमिकता दी जा रही है।

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) से आए द्रोण, सत्यानंद, भरत और कुंदन जैसे कलाकारों की 20 सदस्यों की टीम इस कार्य को अंजाम दे रही है। म्यूरल्स में कुमाऊं और उत्तराखंड की संस्कृति के साथ पहाड़ की प्राकृतिक सुंदरता और लोक परंपराओं को जीवंत रूप दिया जा रहा है।

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मुख्य बिंदु:

  1. राष्ट्रीय खेलों की तैयारी: हल्द्वानी से गौलापार तक सौंदर्यीकरण कार्य।
  2. उत्तराखंड की संस्कृति की झलक: म्यूरल्स में लोककला, वेशभूषा, वन्यजीव और साहसिक पर्यटन को दर्शाया जा रहा है।
  3. कला और कलाकारों का योगदान: छत्तीसगढ़ के कलाकारों द्वारा रिलीफ आर्ट तकनीक से म्यूरल्स तैयार।

हल्द्वानी की यह पहल न केवल राष्ट्रीय खेलों के प्रति जागरूकता बढ़ाएगी बल्कि उत्तराखंड की संस्कृति को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने का भी काम करेगी।

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