जापान की राजेश्वरी मां महाकुंभ में, योग और ध्वनि चिकित्सा से करेंगी उपचार

महाकुंभ (Mahakumbh), जो आस्था और धर्म का सबसे बड़ा महापर्व है, अब देशों की विद्याओं के संगम का माध्यम भी बन रहा है। इस बार महाकुंभ में भारतीय योग-ध्यान और जापान की ध्वनि चिकित्सा का अद्भुत फ्यूजन देखने को मिलेगा। यह संयोजन न केवल आध्यात्मिक बल्कि मानसिक और शारीरिक हीलिंग का भी माध्यम बनेगा।
निर्मोही अखाड़ा (Nirmohi Akhara) की महामंडलेश्वर महंत राजेश्वरी मां जापान और भारत के बीच आध्यात्मिक और चिकित्सा का सेतु बनकर उभरी हैं। जापान में ध्वनि और ऊर्जा चिकित्सा (Energy Therapy) की विशेषज्ञता रखने वाली राजेश्वरी मां ने सनातन धर्म की दीक्षा लेने के बाद भारतीय ध्यान-योग और जापानी हीलिंग तकनीकों का अनूठा संयोजन तैयार किया है।
राजेश्वरी मां का आध्यात्मिक सफर
- राजेश्वरी मां ने वर्ष 2016 में सनातन धर्म में दीक्षा ली।
- 2019 के कुंभ में उन्हें महामंडलेश्वर (Mahamandaleshwar) की उपाधि प्रदान की गई।
- पिछले 30 वर्षों से वह व्यक्तिगत और आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए कार्य कर रही हैं।
ध्वनि चिकित्सा और योग का फ्यूजन
राजेश्वरी मां भारतीय योग-ध्यान और जापान की ध्वनि चिकित्सा के माध्यम से लोगों का उपचार कर रही हैं। ध्वनि चिकित्सा में विभिन्न ध्वनियों और ऊर्जा की तरंगों का उपयोग किया जाता है, जो मानसिक शांति, तनाव मुक्त जीवन और आध्यात्मिक उन्नति में सहायक है।
महाकुंभ में नया अनुभव
महाकुंभ में राजेश्वरी मां का यह प्रयास भारतीय और जापानी विधाओं का संगम प्रस्तुत करेगा। यह संयोजन न केवल भारतीय संस्कृति और जापानी चिकित्सा पद्धतियों को जोड़ता है, बल्कि मानवता के लिए एक नया मार्ग भी प्रशस्त करता है।
लोगों का अनुभव
महाकुंभ में आने वाले श्रद्धालु राजेश्वरी मां से योग और ध्वनि चिकित्सा का अनुभव ले सकते हैं। यह न केवल उनके मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य में सुधार करेगा, बल्कि उन्हें एक नई ऊर्जा से भी भर देगा।
निष्कर्ष
महाकुंभ में राजेश्वरी मां का यह प्रयास भारत और जापान के बीच सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संबंधों को मजबूत करेगा। यह पहल योग और ध्यान को वैश्विक स्तर पर अधिक पहचान दिलाने में भी सहायक होगी।