कसौली में अरबों की बेनामी संपत्ति सरकार के अधीन

सोलन: कसौली क्षेत्र में अरबों रुपए की बेनामी संपत्ति को लेकर डिविजनल कमिश्नर की अदालत ने उपायुक्त सोलन द्वारा सुनाए गए फैसले को बरकरार रखते हुए संपत्ति को सरकार के अधीन करने का निर्णय लिया है। यह संपत्ति करीब 200 करोड़ रुपए मूल्य की है और इसमें दर्जनों बीघा भूमि व उस पर बने फ्लैट शामिल हैं। मामला हिमाचल प्रदेश लैंड टेनेंसी एंड रिफॉर्म एक्ट, 1972 की धारा-118 के उल्लंघन से जुड़ा है।
मामले की शुरुआत और जांच
यह मामला 2014 में सामने आया, जब शिकायतकर्ता संतोष कुमार ने पुलिस को सूचित किया कि कसौली के जौल, खड़ोली और शाकड़ी गांवों में फ्लैट निर्माण के नाम पर करोड़ों रुपए की भूमि खरीदी गई है। इस शिकायत के बाद एसपी ने मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया। जांच में खुलासा हुआ कि बाहरी राज्यों के लोगों ने स्थानीय निवासी दाता राम के बैंक खाते में करोड़ों रुपए ट्रांसफर किए और उसके नाम पर करीब 42 बीघा भूमि खरीदी गई।
मुख्य आरोपी और बेनामी संपत्ति का खुलासा
जांच के दौरान चार मुख्य आरोपियों की पहचान हुई, जिनमें दाता राम, दीपक बरमानी, श्रुति बरमानी और दिल्ली स्थित माउंटेंस एंड पाइंस लिमिटेड कंपनी शामिल हैं। पुलिस को पता चला कि दाता राम, जो एक मामूली मिस्त्री था, के बैंक खाते में करोड़ों रुपए जमा किए गए थे। इन पैसों से भूमि खरीदकर फ्लैट निर्माण किया जा रहा था।
अदालती कार्रवाई और फैसले
2016 में उपायुक्त सोलन की अदालत ने भूमि और फ्लैटों को बेनामी संपत्ति घोषित कर सरकार के अधीन करने का फैसला सुनाया। इस फैसले को आरोपियों ने डिविजनल कमिश्नर की अदालत में चुनौती दी। हालांकि, डिविजनल कमिश्नर ने 2023 में जिला दंडाधिकारी के फैसले को यथावत रखा। इससे पहले यह मामला एफसी की अदालत और हाईकोर्ट तक भी पहुंचा था।
मजदूर से अरबपति बनने की कहानी
जांच में यह भी सामने आया कि एक मामूली किसान और मिस्त्री दाता राम के बैंक खाते में करोड़ों रुपए कैसे आए। बाहरी राज्यों के लोगों ने उसके खाते का उपयोग भूमि खरीदने के लिए किया। इस खुलासे ने जांच एजेंसियों को चौंका दिया।
निष्कर्ष
कसौली की यह संपत्ति अब सरकार के अधीन होगी, जिससे क्षेत्र में अवैध लेन-देन और धारा-118 के उल्लंघन पर सख्ती की उम्मीद है। यह फैसला प्रदेश सरकार की अवैध संपत्तियों के खिलाफ बड़ी जीत मानी जा रही है।
स्रोत: www.hillstime.in