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देहरादून बना सबसे प्रदूषित वाहन चालान वाला शहर, परिवहन विभाग ने 676 वाहनों पर की कार्रवाई

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देहरादून, 13 जून 2025
उत्तराखंड के देहरादून शहर में प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के खिलाफ परिवहन विभाग द्वारा चलाए गए विशेष अभियान में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। दो दिवसीय अभियान के दौरान राज्य भर में कुल 676 प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के चालान किए गए, जिनमें सबसे अधिक 205 चालान अकेले देहरादून में किए गए। यह शहर अब राज्य में सबसे ज्यादा प्रदूषण चालान वाला क्षेत्र बन गया है।

यह जांच अभियान राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) के अंतर्गत देहरादून, ऋषिकेश और काशीपुर जैसे प्रमुख शहरों को प्रदूषण मुक्त बनाने की दिशा में शुरू किया गया है। अभियान के तहत विशेष मोबाइल वैन के माध्यम से वाहनों की ऑन-द-स्पॉट प्रदूषण जांच की गई और जिन वाहनों के पास वैध Pollution Under Control (PUC) प्रमाण पत्र नहीं थे, उन्हें मौके पर चालान किया गया।

प्रमुख शहरों में चालान की संख्या:

  • देहरादून: 205
  • रुड़की: 171
  • हरिद्वार: 85
  • विकासनगर: 58
  • ऋषिकेश: 44

इसके अलावा दो दिनों के भीतर पूरे संभाग में जांच के दौरान कुल 30 वाहनों में प्रदूषण मानक से अधिक उत्सर्जन पाया गया। इन वाहन मालिकों को 7 दिनों के भीतर वाहन को दुरुस्त कर, वैध प्रमाण पत्र के साथ आरटीओ कार्यालय में पेश होने का नोटिस जारी किया गया है।

इस वर्ष अब तक की कार्रवाई:
आरटीओ (प्रवर्तन) डा. अनीता चमोला ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में अब तक देहरादून संभाग में 12,227 वाहनों का चालान किया गया है और कुल 1.98 करोड़ रुपये जुर्माना वसूला गया है।
चालान की शहरवार स्थिति कुछ इस प्रकार है:

  • देहरादून: 3181
  • रुड़की: 2087
  • विकासनगर: 2127
  • ऋषिकेश: 2070
  • हरिद्वार: 1713
  • टिहरी: 735
  • उत्तरकाशी: 314

प्रदूषण प्रमाण-पत्र और जुर्माने का नियम:

  • BS-2 और BS-3 वाहनों के लिए हर 6 महीने में प्रदूषण जांच अनिवार्य।
  • BS-4 और BS-6 वाहनों के लिए हर साल जांच जरूरी।
  • बिना वैध प्रमाण-पत्र पाए जाने पर ₹2,500 जुर्माना
  • दोबारा उल्लंघन की स्थिति में ₹5,000 तक का जुर्माना
  • गंभीर उल्लंघन पर ड्राइविंग लाइसेंस और वाहन पंजीकरण निलंबित करने का भी प्रावधान है।

सारांश:
देहरादून जैसे बढ़ते शहरीकरण वाले क्षेत्रों में वायु प्रदूषण एक गंभीर चुनौती बनता जा रहा है। हालिया जांच से स्पष्ट है कि सार्वजनिक और निजी परिवहन वाहनों द्वारा उत्सर्जित काला धुआं न केवल पर्यावरण के लिए हानिकारक है बल्कि आम नागरिकों के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालता है। परिवहन विभाग की यह सख्ती सराहनीय कदम है, जो प्रदूषण नियंत्रण और स्वच्छ हवा के अधिकार की दिशा में जरूरी है। वाहन स्वामियों से अपील है कि समय पर प्रदूषण जांच कराएं और प्रमाण-पत्र प्राप्त कर जिम्मेदार नागरिक बनें।

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