हिमाचल के डिपुओं में मिलेगा प्राकृतिक खेती से तैयार मक्की का आटा, रेट तय

शिमला: हिमाचल प्रदेश के सरकारी डिपुओं में अब उपभोक्ताओं को पहली बार प्राकृतिक खेती से तैयार मक्की का आटा उपलब्ध कराया जाएगा। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इसे प्रदेश सरकार के दो साल पूरे होने के अवसर पर 11 दिसंबर को लॉन्च किया। यह मक्की का आटा पूरी तरह प्राकृतिक तरीके से तैयार किया गया है, जिसमें किसी भी प्रकार के कीटनाशकों और रसायनों का इस्तेमाल नहीं किया गया है।
डिपुओं में इस आटे के शामिल होने से उपभोक्ताओं को गेहूं का आटा, चावल, चीनी, दालें, नमक और सरसों तेल के साथ एक नया और पोषक विकल्प मिलेगा। मक्की का आटा फाइबर, प्रोटीन और कई महत्वपूर्ण विटामिनों से भरपूर होता है, जो खासतौर पर सर्दियों में सेहत के लिए लाभकारी है। सर्दियों के मौसम में मक्की की रोटी खाने से शरीर को गर्मी और ऊर्जा मिलती है।

हिम भोग ब्रांड से मिलेगा मक्की का आटा
यह मक्की का आटा हिम भोग ब्रांड के तहत उपलब्ध होगा और इसका मूल्य 50 रुपए प्रति किलो तय किया गया है। सरकार ने प्राकृतिक खेती से तैयार मक्की को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 30 रुपए प्रति किलो पर खरीदने की पहल की है। इस योजना का उद्देश्य प्रदेश के शिक्षित युवाओं को खेती से जोड़ना और पलायन को रोकना है।
प्रदेश सरकार ने 25 अक्टूबर से 10 जिलों में मक्की की खरीद शुरू की थी और अब तक करीब 400 मीट्रिक टन मक्की खरीदी जा चुकी है। यह मक्की राज्य नागरिक आपूर्ति निगम के गोदामों से मिलों में पिसाई के लिए भेजी जा रही है।
पैकिंग और उपलब्धता
मक्की का आटा उपभोक्ताओं को एक किलो और पांच किलो की पैकिंग में उपलब्ध होगा। इसके लिए खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग ने 15 मिलों को चिन्हित किया है। पिसाई के बाद डिपुओं में यह आटा वितरित किया जाएगा।
प्राकृतिक खेती को बढ़ावा
प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने इस बार 3,218 प्रमाणित किसानों को चुना है। लाहौल-स्पीति और किन्नौर को छोड़कर अन्य 10 जिलों में 13,304 हेक्टेयर भूमि पर 27,768 मीट्रिक टन मक्की तैयार की गई है। सरकार ने इस साल 508 मीट्रिक टन अतिरिक्त मक्की खरीदने का लक्ष्य रखा था।
इस सीजन में कुल 92,516 किसानों ने प्राकृतिक खेती के तहत मक्की की फसल तैयार की।
सारांश
हिमाचल प्रदेश के डिपुओं में अब उपभोक्ताओं को प्राकृतिक खेती से तैयार मक्की का आटा मिलेगा, जो स्वास्थ्यवर्धक और उच्च गुणवत्ता का है। इस पहल से न केवल लोगों को पोषक आहार मिलेगा, बल्कि प्रदेश में प्राकृतिक खेती को भी बढ़ावा मिलेगा।