ड्रग अलर्ट: हिमाचल के 29 उद्योगों की 38 दवाएं गुणवत्ता जांच में फेल

हिमाचल प्रदेश के फार्मा उद्योगों के लिए दिसंबर का ड्रग अलर्ट चौंकाने वाला साबित हुआ है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) और राज्य दवा नियामकों की जांच में हिमाचल के 29 दवा उद्योगों में निर्मित 38 दवाएं गुणवत्ता मानकों पर खरी नहीं उतरीं। इन दवाओं में एंटी-एलर्जी, आहार अनुपूरक, सूखी खांसी, उच्च रक्तचाप, संक्रमण, गैस्ट्रोसोफेजियल रिफ्लक्स रोग, टाइप-2 मधुमेह, मलेरिया, अस्थमा, एसिडिटी, और पेट के संक्रमण जैसी आम बीमारियों के उपचार की दवाएं शामिल हैं।
CDSCO की रिपोर्ट के अनुसार, देशभर से लिए गए सैंपल की जांच में कुल 135 दवाएं सबस्टैंडर्ड पाई गईं। इनमें से 38 दवाएं हिमाचल के कांगड़ा, कालाअंब, परवाणू, बद्दी, बरोटीवाला और नालागढ़ स्थित उद्योगों में बनी थीं।
सबस्टैंडर्ड घोषित दवाओं की सूची में शामिल:
- मैनोफेक्स-180 टैबलेट
- एक्सबेक्स सस्पेंशन
- टेल्मिसर्टन टैबलेट
- ग्लिमेपिराइड टैबलेट
- पैरासिटामोल पेडिएट्रिक ओरल सस्पेंशन
- इट्राकोनाजोल कैप्सूल
- ब्रोकफ-डीएम सिरप
- कैडकोफ-एलएक्स सिरप
इसके अलावा, छह इंजेक्शन, एक एनेस्थेटिक जेल और एक माउथवॉश भी फेल हुए। इंजेक्शन में पार्टिकुलेट मैटर पाया गया, जो गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा कर सकता है। नालागढ़ की एक कंपनी द्वारा निर्मित डिवलप्रोएक्स एक्सटेंडेड रिलीज़ टैबलेट के सैंपल वजन में एकरूपता की कमी के कारण अस्वीकृत हुए।
राज्य दवा नियंत्रक की कार्रवाई
हिमाचल प्रदेश के ड्रग कंट्रोलर मनीष कपूर ने बताया कि सभी संबंधित उद्योगों को नोटिस जारी कर फेल दवाओं को बाजार से वापस लेने के निर्देश दिए गए हैं। सहायक दवा नियंत्रकों को उद्योगों का निरीक्षण कर विस्तृत रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए गए हैं।
अन्य राज्यों की स्थिति
हिमाचल के अलावा, कोलकाता, कर्नाटक, गोवा, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, गुजरात, पंजाब, और हरियाणा के उद्योगों में बनी 106 दवाएं भी सबस्टैंडर्ड पाई गईं।
मरीजों की सेहत पर असर
इन फेल दवाओं में मेरोपेनम और रेबेप्राजोल जैसे इंजेक्शन भी हैं, जिनका उपयोग गंभीर संक्रमण और पेट के अल्सर के इलाज में होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि सबस्टैंडर्ड दवाओं का सेवन मरीजों की सेहत पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।
हिमाचल प्रदेश के फार्मा उद्योगों को अब अपनी गुणवत्ता सुधारने की दिशा में कदम उठाने की आवश्यकता है। यह अलर्ट ना केवल उद्योगों को सतर्क करता है बल्कि मरीजों को भी जागरूक रहने की जरूरत है।