क्यों कुमाऊनी महिलाओं के लिए खास होती है नथ और पिछौड़, जानें इसका महत्व

उत्तराखंड न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, बल्कि यहां की अनूठी संस्कृति और परंपराओं के लिए भी मशहूर है। यहां के खास रीति-रिवाज, पहनावा और मान्यताएं बेहद आकर्षक हैं। कुमाऊं क्षेत्र की महिलाएं विशेष अवसरों पर नथ और पिछौड़ पहनती हैं, जो उनकी पहचान और सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है। आइए जानते हैं कि यह दोनों परिधान कुमाऊनी महिलाओं के लिए क्यों खास होते हैं।

1. पिछौड़ का महत्व
शुभता का प्रतीक: कुमाऊं में पिछौड़ को शुभ माना जाता है। इसे खासतौर पर शादी और अन्य मांगलिक अवसरों पर पहना जाता है। शादी के दौरान दुल्हन के लिए पिछौड़ पहनना अनिवार्य होता है क्योंकि यह पवित्रता और शुभता का प्रतीक माना जाता है।
शादीशुदा महिलाओं के लिए विशेष:
- कुमाऊं क्षेत्र की शादीशुदा महिलाएं ही पिछौड़ पहनती हैं।
- हर लड़की पहली बार अपनी शादी के दिन पिछौड़ पहनती है। फेरे से पहले दुल्हन के लहंगे के दुपट्टे की जगह पिछौड़ पहनाया जाता है।
- इसके बाद त्योहारों और अन्य मांगलिक अवसरों पर पिछौड़ पहनना परंपरा बन जाती है।
2. पिछौड़ का डिजाइन और रंग
पीला रंग और सुंदर डिजाइन:
- पिछौड़ का रंग पीला होता है, जिस पर लाल रंग के सुंदर डिजाइन बनाए जाते हैं।
- इसके बीच में स्वास्तिक का चिन्ह होता है और किनारों पर सूर्य, चंद्रमा, शंख और घंटी जैसी शुभ आकृतियां बनी होती हैं।
पहले की प्रक्रिया:
- पुराने समय में पीला रंग कीलमोड़ा की जड़ से तैयार किया जाता था।
- लाल रंग बनाने के लिए कच्ची हल्दी में नींबू और सुहागा मिलाकर रंग तैयार किया जाता था।
- हालांकि, अब पिछौड़ बनाने और रंगने की प्रक्रिया में बदलाव आ चुका है।

3. गढ़वाली शादियों में पिछौड़ का ट्रेंड
- पहले पिछौड़ केवल कुमाऊं क्षेत्र की महिलाएं पहनती थीं।
- समय के साथ गढ़वाली शादियों में भी पिछौड़ पहनने का चलन शुरू हो गया है।
- अब दुल्हनें इसे अपनी शादी में शामिल करके अपनी खूबसूरती और पारंपरिक लुक को और निखारती हैं।
4. नथ का महत्व
शादीशुदा महिलाओं की पहचान:
- कुमाऊं और गढ़वाल दोनों क्षेत्रों में नथ का विशेष महत्व है।
- इसे शादीशुदा महिलाओं के लिए खास माना जाता है। शादी के दौरान दुल्हन को नथ पहनाई जाती है, जो अक्सर उसके मामा की ओर से उपहार में दी जाती है।

डिजाइन की खूबसूरती:
- कुमाऊं की नथ अपने अनोखे और खूबसूरत डिजाइनों के लिए जानी जाती है।
- यह इतनी प्रसिद्ध है कि 21वीं सदी में भी नई पीढ़ी की लड़कियां इसे पहनना पसंद करती हैं।
- शादी से लेकर मुंडन जैसे खास अवसरों पर नथ पहनना अनिवार्य होता है।
5. कुमाऊं और गढ़वाल की नथ में अंतर
- कुमाऊं और गढ़वाल की नथ में अंतर होता है। कुमाऊं की नथ अधिक बड़ी और भव्य होती है, जबकि गढ़वाली नथ का डिजाइन थोड़ा अलग होता है।
- दोनों ही पारंपरिक नथें अपनी-अपनी संस्कृति की पहचान को दर्शाती हैं।
निष्कर्ष
नथ और पिछौड़ कुमाऊं की महिलाओं के लिए न केवल उनकी पारंपरिक पहचान हैं बल्कि इनका सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व भी है। शादी, त्योहार और अन्य शुभ अवसरों पर इनका पहनना शुभता और सुंदरता का प्रतीक माना जाता है। समय के साथ यह परंपराएं कुमाऊं से निकलकर गढ़वाल और अन्य क्षेत्रों में भी अपनी जगह बना रही हैं।
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