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One Nation One Election: एक देश-एक चुनाव की अर्थव्यव्था पर क्या असर पड़ेगा?

One Nation One Election

भारत में चुनावी माहौल हमेशा सक्रिय रहता है। कभी लोकसभा चुनाव, कभी विधानसभा चुनाव, तो कभी स्थानीय निकायों के चुनाव चलते रहते हैं। लेकिन अब यह बदलने जा रहा है। सरकार ने एक देश-एक चुनाव (One Nation One Election) की दिशा में कदम बढ़ाया है। केंद्रीय कैबिनेट ने गत गुरुवार को इससे जुड़े विधेयकों को मंजूरी दी।

www.hillstime.in, केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने लोकसभा में इस संशोधन बिल को पेश किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लंबे समय से एक देश-एक चुनाव की व्यवस्था पर जोर दे रहे हैं। उनका मानना है कि इससे नेताओं का ध्यान शासन और विकास पर केंद्रित होगा, जिससे नीतियों को प्रभावी ढंग से लागू किया जा सकेगा।

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क्या है एक देश-एक चुनाव?

एक देश-एक चुनाव का अर्थ है कि लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएं। इसके साथ ही स्थानीय निकायों के चुनाव, जैसे नगर निगम, नगर पालिका और ग्राम पंचायत चुनाव भी एक ही समय पर हों। इसका उद्देश्य है कि चुनावी प्रक्रिया एक तय समय सीमा में पूरी हो।


आजादी के बाद कैसे होते थे चुनाव?

आजादी के बाद 1950 में भारत गणराज्य बना और 1951-52 से 1967 तक लोकसभा और राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराए गए। ये चुनाव 1952, 1957, 1962 और 1967 में हुए। लेकिन राज्यों के पुनर्गठन और लोकसभा भंग होने के कारण यह चक्र टूट गया। इसके बाद अलग-अलग समय पर चुनाव होने लगे।

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एक देश-एक चुनाव का अर्थव्यवस्था पर असर

जीडीपी पर प्रभाव

कोविंद कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक, एक देश-एक चुनाव लागू होने पर भारत की राष्ट्रीय रियल जीडीपी अगले वर्ष 1.5 प्रतिशत बढ़ सकती है। यह वृद्धि वित्त वर्ष 2023-24 में करीब 4.5 लाख करोड़ रुपये होगी। यह रकम स्वास्थ्य पर कुल सार्वजनिक खर्च के आधे और शिक्षा पर खर्च के एक तिहाई के बराबर है।

निवेश में सुधार

लगातार चुनावों की वजह से निवेशकों के बीच अनिश्चितता बनी रहती है। www.hillstime.in, सभी चुनाव एक साथ होने से नेशनल ग्रॉस फिक्स्ड कैपिटल फॉर्मेशन (निवेश) का अनुपात करीब 0.5 प्रतिशत बढ़ सकता है।

सार्वजनिक खर्च

केंद्र और राज्यों के चुनाव एक साथ कराने से सार्वजनिक खर्च 17.67 प्रतिशत तक बढ़ जाएगा। खास बात यह है कि इसमें पूंजीगत खर्च का हिस्सा अधिक होगा, जो अर्थव्यवस्था की जीडीपी ग्रोथ को मजबूत करेगा।


क्या महंगाई में गिरावट आएगी?

अलग-अलग चुनावों की तुलना में एक साथ चुनाव होने पर महंगाई में अधिक गिरावट देखी जाती है। रिपोर्ट के अनुसार, महंगाई में करीब 1.1 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है।


क्या बढ़ेगा राजकोषीय घाटा?

रिपोर्ट के अनुसार, चुनाव के दो वर्ष पहले और दो वर्ष बाद राजकोषीय घाटा 1.28 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। हालांकि, इसके बावजूद विकास दर में वृद्धि होगी।


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अन्य देशों में एक साथ चुनाव

दुनिया के कई देशों में एक साथ चुनाव की व्यवस्था है। अमेरिका, फ्रांस, स्वीडन और कनाडा जैसे देशों में यह प्रणाली लागू है। अमेरिका में हर चार वर्ष में राष्ट्रपति, कांग्रेस और सीनेट के चुनाव एक ही दिन कराए जाते हैं।


निष्कर्ष

एक देश-एक चुनाव भारत के राजनीतिक और आर्थिक परिदृश्य को बदल सकता है। इससे न केवल महंगाई में कमी आएगी, बल्कि निवेश और जीडीपी में भी वृद्धि होगी। हालांकि, इसे लागू करने के लिए संवैधानिक और प्रशासनिक स्तर पर कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

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