#Himachal

शूलिनी मेला 2025: सोलन बना अन्नपूर्णा नगरी, हर गली में सुबह-शाम लगे भंडारे, भक्तों ने मां का प्रसाद समझकर ग्रहण किया

सोलन, हिमाचल प्रदेश – सोलन शहर की अधिष्ठात्री देवी मां शूलिनी के सम्मान में मनाया जाने वाला तीन दिवसीय राज्य स्तरीय शूलिनी मेला 2025 एक बार फिर श्रद्धा, भक्ति और सामाजिक समरसता का अद्भुत संगम बन गया। यह मेला न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि सोलन की सामाजिक एकता, सेवा भावना और समर्पण को भी दर्शाता है। इन तीन दिनों के दौरान सोलन नगरी साक्षात अन्नपूर्णा बन जाती है, जहां हर आने वाले भक्त को पेट भर भोजन और शीतल जल सहज रूप से उपलब्ध होता है।

शहर भर में सुबह से शाम तक भंडारों की श्रृंखला लगी रहती है। स्थानीय लोग पूरी श्रद्धा के साथ विभिन्न स्थानों पर भंडारे आयोजित करते हैं, जहां आगंतुकों को प्रसाद के रूप में निःशुल्क भोजन परोसा जाता है। लोग इस सेवा को मां शूलिनी का आशीर्वाद मानकर, विनम्रता के साथ ग्रहण करते हैं। मेले के दौरान मुख्य माल रोड, शूलिनी मंदिर मार्ग, चौक बाजार, गंज बाजार, अपर बाजार, लक्कड़ बाजार, कोटलानाला, चंबाघाट से सपरून तक हर गली, नुक्कड़ पर स्वादिष्ट व्यंजनों की महक फैलती है।

शूलिनी मेले की खास बात यह है कि इसमें धार्मिक सौहार्द की भी मिसाल देखने को मिलती है। यहां हिंदू, मुस्लिम, सिख सभी धर्मों के लोग मिलकर सेवा करते हैं। यही कारण है कि इस आयोजन में भक्ति के साथ-साथ मानवता और एकता की भावना भी प्रबल रूप से दिखाई देती है।

भंडारों में परोसे जाने वाले व्यंजनों की सूची भी विशेष आकर्षण का केंद्र रहती है। इसमें कढ़ी-चावल, दाल-चावल, राजमाह, छोले-पुरी, हलवा, खीर, दलिया, मालपुए, जलेबी, लड्डू, कचौरी, मठ्ठी, ब्रेड-पकोड़े, चाय, कुल्फी, आइसक्रीम और ठंडे पेय शामिल हैं। इन तीन दिनों में सोलन की 5 किलोमीटर की परिधि में कहीं भी जाने पर कुछ न कुछ खाने-पीने को मिल ही जाता है। यह आयोजन वास्तव में “भूखे को अन्न और प्यासे को जल” की भावना का जीवंत उदाहरण है।

देशभर में शायद ही कोई ऐसा धार्मिक मेला होता हो जहां भोजन व्यवस्था इतनी सुलभ और संगठित हो। यह आयोजन न केवल भक्तों की सुविधा को ध्यान में रखकर किया जाता है, बल्कि यहां आने वाला हर व्यक्ति सोलन की मेहमाननवाजी और संस्कृति का कायल हो जाता है।

मां शूलिनी के इस पावन मेले ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि जब भक्ति और सेवा एक साथ आती हैं, तो शहर स्वयं अन्नपूर्णा बन जाता है। इस मेले के दौरान सोलन नगरी में जो वातावरण बनता है, वह आत्मिक शांति, सामूहिक सेवा और धार्मिक एकता का अप्रतिम उदाहरण है।


शूलिनी मेला 2025, सोलन मेला, अन्नपूर्णा नगरी, भंडारा सेवा सोलन, शूलिनी देवी मेला, हिमाचल धार्मिक मेला, सोलन की संस्कृति, सोलन का राज्य स्तरीय मेला, शूलिनी माता भक्ति, सोलन में भंडारे, सोलन का भंडारा आयोजन

अगर आप चाहें, तो मैं इसका सोशल मीडिया पोस्ट या अख़बार के लिए हेडलाइन संस्करण भी तैयार कर सकता हूँ।

Leave a comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *